कविता : आशा आँचल छोड़ न देना...
कविता : आशा आँचल छोड़ न देना...
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झंझावातों से घबराकर
नौका का पथ मोड़ न देना।
प्रहर है अंतिम निकट सवेरा ,
आशा आँचल छोड़ न देना।
साहस की पतवार थामकर,
मत बैठो तुम हार मानकर।
मुस्काती हैं स्वर्णिम किरणें,
स्वप्न सुनहरा तोड़ न देना।
लक्ष्य बड़ा है, अश्व अड़ा है ।
शूर योद्धा पार खड़ा है।
जीवन के निज समर- ग्रन्थ में ,
पृष्ठ पराजित जोड़ न देना।
परहित सेवा तेरा यह पथ,
जीवन देना ,जीवन है रथ।
विघ्न अनेकों से घबराकर,
भावों का घट फोड़ न देना।
- अमिता 'अशेष'