ख्यातनाम वरिष्ठ कवि महेश दूबे की कलम से एक विशेष रचना : हर संकट का हल होता है 

ख्यातनाम वरिष्ठ कवि महेश दूबे की कलम से एक विशेष रचना : हर संकट का हल होता है 

ख्यातनाम वरिष्ठ कवि महेश दूबे  की कलम से एक विशेष रचना ....

गज़ल : हर संकट का हल होता है 

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हर संकट का हल होता है 
आज नहीं तो कल होता है 

काम जो आता है मुश्किल में
खुद के मन का बल होता है 

अम्मा की आंखों का आंसू
असली गंगाजल होता है 

थाह नहीं मानव के मन की
तल के भीतर तल होता है 

हर युग में आते हैं रावण 
सीता के संग छल होता है 

अंत समय पकवान न मिलते
केवल तुलसी दल होता है 

प्रेम भाव यदि हो कुटिया में
कहते वही महल होता है 

शब्द घाव से जो मिलता वह
दुख का विंध्याचल होता है 

मन के भीतर का दावानल
वाणी से शीतल होता है 

* महेश दूबे....   गोरेगांव ( मुंबई )