विश्व नशामुक्ति दिवस पर प्रासंगिक दोहा "नशा"
विश्व नशामुक्ति दिवस पर प्रासंगिक दोहा "नशा"
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बीड़ी धक धक पी रहे,चिलम रहे जलाय।
ठठरी उनकी जाय रही,रामहि बने सहाय।।
हुक्का गड़गड़ कर रहे,गड़बड़ सुधि भुलाय।। हड़बड़ - हड़बड़ में चले, तज सृष्टि अकुलाय।।
पान सुपारी दोहरा,गुटखा मावा लंच।
सूखा खैनी पोटली,स्वर्ग सिधारे चंट।।
बीयर बिस्की रम पिला,भुला रहें हैं गम।। ताड़ी माड़ी ने किया,यूं आंखें उनकी नम।।
करते रहे सदा जिन्हें,कोटि कोटि प्रणाम।
नशे ने उनको कर दिया,जय जय सीताराम।।
* रचनाकार : विनय शर्मा 'दीप'
कवि एवं पत्रकार (मुंबई)