रक्षाबंधन पर्व पर एक विशेष कविता "है रक्षाबंधन का त्योहार"

रक्षाबंधन पर्व पर एक विशेष कविता "है रक्षाबंधन का त्योहार"

रक्षाबंधन पर्व पर एक विशेष कविता " है रक्षाबंधन का त्योहार ..."

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पावन पवित्र नेह का बंधन,भाई बहन का प्यार।
है रक्षाबंधन का त्योहार।।

जन्मों जनम का है बंधन यह,कभी नहीं जो रुठा।
लाख बलाएं तूंफा आई,कभी नहीं ओ टूटा।
सदियों का इतिहास बना जो,करता मंगलचार।।
है रक्षाबंधन का त्योहार।।

कान्हा ने द्रौपदी की रक्षा करके वचन निभाई।
वीर हूमांयू कर्णावती का शाह से जान बचाई।
सच बंधन बेजोड़ अमर है जिसमें कंचन तार।।
है रक्षाबंधन का त्योहार।।

इंद्र की रक्षा में इंद्राणी,ने बांधी सूत्र कलाई।
बहन का विश्वास अटल,अटल वहीं है भाई।
प्रेम का बंधन बंधा रहे यूं ,नाचे यह संसार।।
है रक्षाबंधन का त्योहार।।

बड़े भाग हैं उनके जिसने,बहन को घर में पाया।
कलयुग के घर दीप ने मानों कितनी बहन गंवाया।
रक्षा कर लो दीप बहन हैं,सृष्टि का आधार।।
है रक्षाबंधन का त्योहार।।

* कवि : विनय शर्मा 'दीप' 

               ( मुंबई )