कविता : रिश्ता क्या है ?

कविता : रिश्ता क्या है ?

     कविता : रिश्ता क्या है ?

     ******************


रिश्ता क्या है
इंसान की पहचान या कुछ और भी 
दुनिया के कानून की जरूरत या कुछ और भी 
हदें बांटना हदों में रहना सिखाना या कुछ और भी 
एक दिमागी बिसात इंसान को गिरफ्त करना या कुछ और भी 
रिश्ता क्या है

क्या सिर्फ किरदार का पैमाना 
या कभी इंसानियत की म्यार भी 
तयशुदा लकीर या बिना मतलब के लिहाज भी 
क्या इंसा होना काफी नहीं या रिश्ता वक़्त की दरकार भी 
रिश्ता क्या है 

हवाओं का समंदर से कोई रिश्ता नहीं 
बुलबुलों को साकी से कोई फर्क़ पड़ता नहीं 
फिर क्या है जरूरत रिश्तों की डोर की
फिर क्यूँ लटकती है  हर वक़्त सर पर रिश्तों की शमशीर  सी 
रिश्ता क्या है

रिश्ता सिर्फ जुडाव है या कटाव भी 
हाथों में पकड़ी लगाम या पैरों की राकाव भी 
फिर इंसानियत भी  क्यूँ दिखती वहशियाना  सी 
रिश्ता क्या है

रिश्ता समझने से है 
रिश्ता निभाने से है 
रिश्ता जिस्म है  तो उसकी रूह ज़ज्बात हैं 
रिश्ता पहचान है रिश्ता औकात है 
रिश्ता अपनापन रिश्ता जमात है 
रिश्ता ना मानो तो कुछ नहीं 
मानो तो सौगात है

* रचनाकार : राजेश कुमार लंगेह ( बीएसएफ )