राष्ट्रगीत वाद्ययंत्र पर बजाने की बजाय इसके गायन की परम्परा शुरू करनी आवश्यक : गोपाल शेट्टी
राष्ट्रगीत वाद्ययंत्र पर बजाने की बजाय इसके गायन की परम्परा शुरू करनी आवश्यक : गोपाल शेट्टी
- राष्ट्रगीत को गर्व से गायें : गोपाल शेट्टी
- तामिलनाडु विधानसभा में राष्ट्रगीत न होने देने के खिलाफ वहां की सरकार पर फूटा गोपाल शेट्टी का गुस्सा
- देशहित के मुद्दों पर सभी राजनीतिक दलों का साथ बैठकर आम सहमति बनाने का गोपाल शेट्टी का आह्वान
* अमित मिश्रा
बोरीवली ( मुम्बई ) : तामिलनाडु विधानसभा में राष्ट्रगीत न गाये जाने के विवाद ने अब तूल पकड़ लिया है। राष्ट्रगीत के कहीं न कहीं हुए इस अपमान से लोगों और जन-प्रतिननिधियों में नाराजगी फैल गई है। दरअसल पिछले दिनों तामिलनाडु विधानसभा में राज्यपाल आर्यन रवि का अभिभाषण होना था। अभिभाषण से पूर्व वहां राज्य गीत तो गाया गया पर राष्ट्रगीत नहीं, इससे आहत होकर महामहिम राज्यपाल ने अभिभाषण तो नहीं ही दिया , वे विधानसभा से वाक आउट भी कर गए। राज्यपाल ने विधानसभा में सदन को उसके संवैधानिक कर्तव्य की याद भी दिलाई । राज्यपाल के अनुसार राष्ट्रगीत न गाना राष्ट्र और संविधान दोनों का अपमान है।
देशभर के स्कूलों में राष्ट्रगीत के गायन और लेखन को स्कूली शिक्षा से ही अनिवार्य करने के प्रबल पक्षधर उत्तर मुंबई के पूर्व सांसद जनसेवक गोपाल शेट्टी ने भी स्टॅलिन सरकार के रवैये की कड़े शब्दों में निंदा की है। मीडिया से बात करते हुए जनसेवक गोपाल शेट्टी ने इस मामले को दुःखद और चिंताजनक बताया है। उन्होंने कहा कि आजादी के 75 साल के बाद भी हम पूरे देश को राष्ट्रगीत के बारे में एकमत नहीं कर पाए। निश्चित ही हमारे देश में फेडरेलिज्म सरकार चल रही है केंद्र जो कहती हो सभी राज्यों ने मानना ही चाहिए ऐसा जरूरी नहीं। इस प्रकार की संविधान में व्यवस्था है लेकिन वह अलग-अलग विषयों पर अलग-अलग मुद्दों पर हो सकता है, लेकिन राष्ट्रगीत के बारे में सभी राज्यों का एक मत ना होना यह अनुचित है। सभी लोगों ने इस मुद्दे पर एक मत बना लेना चाहिए। मैं बहुत सारे राष्ट्रीय मुद्दों पर काम करते रहता हूं । राष्ट्रगीत को लेकर 2024 में संसद में मैंने एक रिजोल्यूशन लाने का प्रयास किया था, क्योंकि मैंने पाया कि सिनेमाहॉल और स्कूलों में जब राष्ट्रगीत गाया जाता है तो उसे कुछ बच्चे उसे गाते हैं तो कुछ अलग धर्म-सम्प्रदाय के बच्चे नहीं गाते हैं। इसलिए मैंने सोचा कि हम कुछ इस तरह की व्यवस्था करें कि 7 वीं से ही स्कूल के बच्चों को सख्ती से परीक्षा में राष्ट्रगीत लिखना अनिवार्य कर देना। इसके लिए कुछ अतिरिक्त अंक देने का प्रावधान हो, जिन्होंने राष्ट्रगीत लिखा उन्हें वह अतिरिक्त अंक देना चाहिए और जिन्होंने नहीं लिखा उन्हें वह अंक नहीं दिया जाए। ऐसे में राष्ट्रगीत के लेखन और गायन की अनिवार्यता को निश्चित रूप से बल मिलेगा। मेरे मन मे था कि आज जब बच्चे राष्ट्रगीत लिखना प्रारंभ करेंगे तो कल को गाना भी प्रारंभ करेंगे।
जनसेवक शेट्टी ने आगे कहा कि इसके साथ ही एक मुद्दा भारत माता की जय की घोषणा का भी है। ये घोषणा अकेले भारतीय जनता पार्टी का प्रयास नहीं बल्कि 1947 से पूर्व का है। पर भारतमाता की जय बोलने में भी कुछ दूसरे धर्म के लोगों को आपत्ति है। मेरा कहना है कि मुस्लिम बंधु 'मादरे-वतन' और क्रिस्चियन बंधु 'मदर लैंड' कहते हैं। तो भारत माता की जय बोलने में क्यों आपत्ति है, बात तो वही है। यही सब लोग बैठकर समझेंगे तो एकमत हो सकते हैं। ऐसा हुआ और साथ बैठे तो देश में खुशनुमा माहौल तैयार होगा। भविष्य में हम सभी समान नागरिक कानून पर भी बात कर पाएंगे, देश में एनआरसी के इम्प्लीटेंट पर भी मिलकर बात हो सकती है। इसके लिए आवश्यक है सबको विश्वास में लेना और देश की प्रगति के लिए सभी राजनीतिक दलों का ऐसे मुद्दों पर साथ आना।
जनसेवक गोपाल शेट्टी ने यह भी कहा कि राष्ट्रगीत वाद्ययंत्र पर बजाने की बजाय इसके गायन की पररम्परा शुरू करनी भी अति आवश्यक है। कुछ स्थानों पर उन्होंने पाया कि राष्ट्रगीत गाने की बजाय बांसुरी या अन्य वाद्य यंत्रों पर बजाई जाती है यह ठीक नहीं ।
जनसेवक गोपाल शेट्टी ने अंत में कहा कि देशहित के लिए कई मुद्दों पर आम सहमति और एकजुट होने की आवश्यकता है। जैसे बांग्लादेशियों को देश से निकालने जैसे प्रयासों पर भी सभी राजनीतिक दलों का एकमत न होना ,यह देशहित में नहीं है। सभी दल मिलकर बैठेंगे और राष्ट्रहित की सोचेंगे तो अवश्य ठोस निर्णय हो सकता है।