‘नया भारत और बिस्मिल-अशफ़ाक़’ शहादत दिवस पर विशेष परिचर्चा का आयोजन

‘नया भारत और बिस्मिल-अशफ़ाक़’ शहादत दिवस पर विशेष परिचर्चा का आयोजन

‘नया भारत और बिस्मिल-अशफ़ाक़’ शहादत दिवस पर विशेष परिचर्चा का आयोजन

* संवाददाता
 
       मुंबई : “पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाक़उल्लाह खान, ठाकुर रोशन सिंह और राजेंद्र लाहिड़ी ने भारतीय स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति देकर देश में क्रांति की अलख जगाई। उनकी देशभक्ति, करोड़ों देशवासियों के लिए प्रेरणा है। उनकी कुर्बानी व्यर्थ न जाने पाए इसका ख्याल रखना हर भारतवासी की जिम्मेदारी है।” काकोरी के शहीदों की याद में ‘नया भारत और बिस्मिल-अशफ़ाक़' विषय पर कालीना स्थित गरवारे संस्थान में आयोजित परिचर्चा के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ पत्रकार सरफराज आरजू ने यह उद्गार व्यक्त किए।

    सरफराज आरजू ने इतिहास में दर्ज महापुरुषों की विरासत को शहादत दिवस पर याद करते हुए राष्ट्रीय एकता को वर्तमान और भविष्य निर्माण के लिए महत्वपूर्ण बताया।
       कार्यक्रम का आयोजन मुंबई विश्वविद्यालय द्वारा संचालित गरवारे इंस्टिट्यूट के हिंदी पत्रकारिता विभाग और शहीद-ए-वतन बिस्मिल-अशफ़ाक़ फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था।

    कार्यक्रम का सूत्र संचालन करते हुए हिंदी पत्रकारिता पाठ्यक्रम के समन्वयक सैयद सलमान ने बिस्मिल-अशफ़ाक़ की मित्रता, स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका, एक दूसरे के प्रति उनके प्रगाढ़ रिश्तों पर अपने विचार रखते हुए शहीद अशफ़ाक़ और पंडित बिस्मिल को निर्विवाद रूप से हिंदू-मुस्लिम एकता का अनुपम उदाहरण बताया। उन्होंने बिस्मिल-अशफ़ाक़ के अनेकों उदाहरणों के माध्यम से देश में सांप्रदायिक सौहार्द कायम करने पर जोर दिया।

    इस अवसर पर डॉ. वागीश सारस्वत, मुंबई हिंदी पत्रकार संघ के अध्यक्ष आदित्य दुबे, एडवोकेट विजय सिंह, दीपा सिंह, वरिष्ठ पत्रकार अभय मिश्र और इमरान जाहिद खान ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए अपने विचार रखे। सभी वक्ताओं ने आज़ादी की लड़ाई में अपनी जान न्यौछावर करने वाले शहीदों के राष्ट्रीय एकात्मता और सद्भाव के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का आह्वान किया ।
     मशहूर शायर आलम निजामी ने देशभक्ति से ओतप्रोत रचनाएं सुनाकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी सामयिक रचना ‘सलाम देश की अज़मत को’ खूब सराही गई। वंदना सिंह, प्रवीण जैन और कृष्णा शर्मा ने भी अपनी वीर रस की कविताओं से समां बांधा।
     कार्यक्रम में नूर अहमद खान, परवेज तबरेज खान, फैयाज खान, सरताज मेंहदी, सुरेंद्र सिंह, अरुण मिश्रा, सलामत मंसूरी, पंकज सोनी, विकास मेहता और मनीषा जोशी की गरिमामय उपस्थिति रही।

   आभार प्रदर्शन साखी गिरी ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में संदीप गुप्ता, राधारानी जायसवाल, मृणाली घाघ, अदिति झा और मोनल भदौरिया का विशेष योगदान रहा।