ईद मिलादुन्नबी का जुलूस एक दिन आगे बढ़ाकर अंधेरी के मुसलमानों ने पेश की भाईचारे की अनुपम मिसाल !

ईद मिलादुन्नबी का जुलूस एक दिन आगे बढ़ाकर अंधेरी के मुसलमानों ने पेश की भाईचारे की अनुपम मिसाल !

ईद मिलादुन्नबी का जुलूस एक दिन आगे बढ़ाकर अंधेरी के मुसलमानों ने पेश की भाईचारे की अनुपम मिसाल !

_ मुसलमानों की इस सराहनीय पहल पर खुश हो गई 'आपली मुंबई'
_ अनंत चतुर्दशी और ईद मिलादुन्नबी एक ही दिन आ जाने से हुई थी सबको थोड़ी सी चिंता

_ मुस्लिम समुदाय की पहल का सभी ने दिल से किया स्वागत
_ पुलिस प्रशासन , महानगरपालिका सहित हिंदू समाज भी इनकी दरियादिली का हुआ कायल

* संवाददाता

     अंधेरी : यह पहला मौका नहीं है जब हिंदू-मुस्लिम भाईचारे और एकता की मिसाल समय-समय पर पेश करते हुए दोनों समुदायों ने ऐसे निर्णय लिए जिससे दोनों ही धर्मों की आन,बान और शान में जहां इजाफा हुआ , वहीं पुलिस प्रशासन को अपना कर्तव्य निभाने के लिए अतिरिक्त दबाव नहीं झेलना पड़ा।
   दरअसल इस वर्ष अनंत चतुर्थी यानि श्रीगणेश जी की मूर्ति के विसर्जन का अंतिम दिवस और ईद मिलादुन्नबी का महान पर्व एक ही दिन आ जाने से प्रशासन के लिए चिंता का कारण बन गया था। 28 सितंबर को दोनों त्योहार शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने के लिए कई स्थानों पर सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक संगठनों की बैठकों में मामले को सुलझाने का प्रयास किया भी जा रहा है। इसी संदर्भ में डीसीपी (परिमंडल 10) दत्ता नलावड़े ने भी एक संयुक्त बैठक का आयोजन किया , जिसमें पुलिस विभाग, बृहन्मुंबई महानगरपालिका के अधिकारी, ईद मिलादुन्नबी कमिटी, मोहल्ला शांति कमिटी और स्थानीय सार्वजनिक  गणेशोत्सव समितियों के पदाधिकारी मौजूद थे। ऐसे में अंधेरी पूर्व से निकलने वाले ईद मिलादुन्नबी कमिटी के जुलूस से जुड़े पदाधिकारियों ने आपसी सलाह मशवरे से वरिष्ठ पुलिस और बृहन्मुंबई महानगरपालिका के अधिकारियों की मौजूदगी में जुलूस को एक दिन आगे अर्थात 29 सितंबर को निकालने की घोषणा की, जो यकीनन एक सराहनीय पहल मानी जाएगी। 
  कमिटी के अध्यक्ष सलीम मापखान ने इस विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा कि " हमारे पैगंबर मोहम्मद साहब ने आपस में भाईचारा व प्रेम की शिक्षा दी है इसलिए हमने यह फैसला लिया है। बैठक में मौजूद तमाम बड़े अधिकारियों और राजनैतिक कार्यकर्ताओं ने मुस्लिम समाज की इस पहल का हृदय से स्वागत किया है। 
  डीसीपी दत्ता नलावड़े ने कहा कि मुस्लिम समाज ने यह निर्णय लेकर एक अच्छी और सराहनीय पहल की है। इससे समाज में भाईचारे का अच्छा संदेश जाएगा।