छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर प्रासंगिक कविता : हमारा महाराष्ट्र .....

छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर प्रासंगिक कविता :  हमारा महाराष्ट्र .....

छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर प्रासंगिक कविता :

          हमारा महाराष्ट्र .....

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प्रभु रामदास-ज्ञानेश्वर के उपदेशों की हम थाती हैं
हम महाराष्ट्र की आन-बान,शिवराया वंश मराठी हैं

बारह ज्योतिर्लिंगों में से हैं चार हमारी धरती पर
ओंकारेश्वर,भीमाशंकर,घृष्णेश्वर और त्र्यंबकेश्वर
नाशिक,शिर्डी,तुलजामाता या सिद्धविनायक,पंढरपुर
हर मनोकामना पूरी हो,जो भी आए इनके दर पर

भारतीय संस्कृति के पोषक,उस दीपक की हम बाती हैं
हम महाराष्ट्र की आन बान,शिवराया वंश मराठी हैं

संस्कृति का केंद्र पुणे प्यारा, मुंबई आर्थिक राजधानी
है यहीं अजंता-एलोरा,नांदेड़ में गूंजे गुरुवाणी
जय-जय हो शाहू महाराज,धरती पर नहीं कोई सानी
सदियां खुद शीश झुकाती हैं,ऐसी है जिनकी कुर्बानी

सुख-शोहरत से झोली भर दें,इस माटी की परिपाटी है
हम महाराष्ट्र की आन बान शिवराया वंश मराठी हैं

तुकड़ोजी,तुकाराम,नरहरि, रविदास,सावता,एकनाथ
चोखामेला जी,नामदेव,दामा श्री विट्ठल महाराज
मुक्ताबाई,निर्मला,नागरी, कलावती,कान्हो पात्रा
जिनके पावन उपदेशों से,कण-कण करते यहां नाज

हम सब इन पुण्यात्माओं के अनुयाई,अनुचर,पाती हैं
हम महाराष्ट्र की आन-बान,शिवराया वंश मराठी हैं

हिंदवी राज के संस्थापक,जिनसे सारे ही हारे हैं
संभाजी जो निज धर्म हेतु,अपने जीवन को वारे हैं
जो कभी नहीं हारे रण में, वह बाजीराव हमारे हैं

मित्रों पर जान लुटा दें पर, दुश्मन की साढ़ेसाती हैं
हम महाराष्ट्र की आन-बान, शिवराया वंश मराठी हैं

वीरों की भूमि यही धरती,संतों की भूमि यही धरती
हर धर्म जहां फल फूल रहे,पंथों की भूमि यही धरती
दत्तो,वामन,साने गुरुजी,पंतों की भूमि यही धरती
दिल्ली तक भगवा लहरा,अरिहंतों की भूमि यही धरती

जो राष्ट्र विरोधी काम करें,उस द्रोही के कुलघाती हैं
हम महाराष्ट्र की आन-बान,शिवराया वंश मराठी हैं

कोकिला लता या तेंदुलकर,जिनका जग गौरवगान करे
बाबासाहेब आंबेडकर पर पूरा भारत अभिमान करे
फालके,महात्मा फुले,गाडगे का कण-कण यश गान करे
बाला साहेब ठाकरे,गर्व जिन पर ये हिंदुस्तान करे

अपनों खातिर निज अहित करें, क्योंकि थोड़े जज्बाती हैं
हम महाराष्ट्र की आन-बान,शिवराया वंश मराठी हैं

जो हम पर प्यार लुटाते हैं,हम उन पर जान लुटाते हैं
हम जोश ठाकरे जी के हैं,जीजामाता से नाते हैं
तूफान कोई भी आ जाए,हम कभी नहीं घबराते हैं
भोजन की थाली छोड़ पेशवा, क्षत्रिय जान बचाते हैं

समझो तो फूल गुलाबों के,ना समझो तो हम लाठी हैं
हम महाराष्ट्र की आन बान,शिवराया वंश मराठी हैं।

   * रचनाकार : सुरेश मिश्र

               ( कवि - मंच संचालक )

                         मुंबई ....