कविता : बहुत है ...

कविता : बहुत है ...

     कविता : बहुत है ...

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प्यार को पतवार मिल जाए, बहुत है,
इक समर्पित यार मिल जाए, बहुत है।

जो क़यामत तक हमारा दिल संभाले,
वह किराएदार मिल जाए, बहुत है।

चाहते हैं जो हमें हद से जियादा,
अब उन्हीं से हार मिल जाए, बहुत है।

जिंदगी का पथ ठहाकों से भरा हो,
ऐसा कुछ संसार मिल जाए, बहुत है।

कलम हो या खड्ग दोनों काटते हैं,
बस जरा-सी धार मिल जाए, बहुत है।

कर्म हों या पेड़, फल देंगे हमेशा,
लक्ष्य को आकार मिल जाए, बहुत है।

मां-पिता का सिर कभी झुकने न पाए,
बस यही संस्कार मिल जाए, बहुत है ।    

* रचनाकार :  सुरेश मिश्र    (हास्य-व्यंग्य कवि ) मुम्बई ...