कविता : उम्र क्या है ?

कविता : उम्र क्या है ?

     कविता : उम्र क्या है ?
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उम्र क्या है , हल्के-फुल्के,
 कच्चे सच्चे ज़ज्बात 
चेहरे की लकीरें ,
बालों की सफ़ेदी या बिखरे से ख़यालात 
अधूरी ख्वाहिश या आधे मरे सपनों की बारात
उम्र क्या  है हल्के-फुल्के, 
कच्चे सच्चे ज़ज्बात ।
थोड़ा रंज थोड़ा तंज़
 थोड़ा सा शतरंज 
थोड़ी सी हंसी थोड़ी सी आँखों की नमी
हासिल क़ायनात का नशा कहीं 
कहीं सकूँ की सौगात
उम्र क्या है हल्के-फुल्के, 
कच्चे सच्चे ज़ज्बात 
कुछ टूट गया कुछ छूट गया 
अच्छा भी बुरा भी 
वक़्त सब बीत गया 
उम्मीदें बंधी उम्मीदें टूटी 
जाने कौन-कौन सी 
गालियाँ छूटीं 
छूटना-रूठना बनना-बिगड़ना है कुदरत की है बिसात 
उम्र क्या है हल्के-फुल्के, 
कच्चे सच्चे ज़ज्बात 
उम्र कहीं परवाज है 
कभी रवानी है 
उठती गिरती लहरों की 
अनजानी सी कहानी है 
यह जो चाल है जिंदगी की 
 यही तो है करामात 
उम्र क्या है हल्के-फुल्के,
 कच्चे सच्चे ज़ज्बात
उम्र तौल है बेहिसाब
 तजुर्बे का 
 एहसास जो जिये 
उनके हर कर्जे का
 वो भटकना वो तलाश वो हालात 
उम्र क्या है हल्के-फुल्के,
 कच्चे सच्चे ज़ज्बात

* रचनाकार : राजेश कुमार लंगेह
                    ( बी एस एफ )