शिक्षक दिवस पर विशेष प्रासंगिक कविता : उस्ताद मिला मुझे ....

शिक्षक दिवस पर विशेष प्रासंगिक कविता : उस्ताद मिला मुझे ....

शिक्षक दिवस पर विशेष प्रासंगिक कविता : उस्ताद मिला मुझे ....

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उस्ताद मिला मुझे खुदा दिला दिया
कंकड़ को हीरा बना दिया 
जमीन से उठाकर अर्श पर बिठा दिया 
ख़ाकसार था मैं अदना सा शख्स 
उसकी नज़रे करम ने आफताब बना दिया 
उस्ताद मिला मुझे खुदा दिला दिया
कंकड़ को हीरा बना दिया 
जमीन से उठा कर अर्श पर बिठा दिया।

कच्चापन , किसी काबिल ना था 
बचपन की होशियारी से कुछ हासिल ना था 
तपाकर जिन्दगी की आग में उसने 
मुझे महताब बना दिया 
कंकड़ को हीरा बना दिया 
जमीन से उठा कर अर्श पर बिठा दिया।

सर झुकता है हर वक़्त तेरे सामने 
लफ्जों की कमी होती है तेरा शुक्रगुजार हूं कहने में 
खुदा की मेहर ने मुझे उस्ताद दिला दिया 
उस्ताद मिला मुझे खुदा दिला दिया 
कंकर को हीरा बना दिया 
जमीन से उठा कर अर्श पर बिठा दिया।
* रचनाकार :  राजेश कुमार लंगेह  (बीएसएफ )