बाल-कथा : राजा और पेड़ों की समस्या: लेखिका-कविता सिंह
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बाल-कथा :
राजा और पेड़ों की समस्या
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एक राजा बहुत दिनों बाद अपने बगीचे में सैर करने गया , पर वहां पहुँचकर उसने देखा कि सारे पेड़- पौधे मुरझाए हुए हैं । राजा बहुत चिंतित हुआ। इसकी वजह जानने के लिए राजा सभी पेड़-पौधों से एक-एक करके सवाल पूछने लगा।
ओक वृक्ष ने कहा, वह मर रहा है क्योंकि वह देवदार जितना लंबा नहीं है। राजा ने देवदार की ओर देखा तो उसके भी कंधे झुके हुए थे क्योंकि वह अंगूर लता की भांति फल पैदा नहीं कर सकता था। अंगूर लता इसलिए मरी जा रही थी कि वह गुलाब की तरह खिल नहीं पाती थी।
राजा कुछ दूर आगे गया तो उसे एक ऐसा पेड़ नजर आया जो बिल्कुल निश्चिंत था, खिला हुआ और ताजगी में नहाया हुआ था।
राजा ने उससे पूछा , ” बड़ी अजीब बात है , मैं पूरे बाग़ में घूम चुका हूँ वहां एक से बढ़कर एक ताकतवर और बड़े पेड़ दु:खी हुए बैठे हैं लेकिन तुम इतने प्रसन्न नज़र आ रहे हो…. ऐसा कैसे संभव है ?”
पेड़ बोला , ” महाराज , बाकी पेड़ अपनी विशेषता देखने की बजाय स्वयं की दूसरों से तुलना कर दु:खी हैं ।जबकि मैंने यह मान लिया है कि जब आपने मुझे रोपित कराया होगा तो आप यही चाहते थे कि मैं अपने गुणों से इस बगीचे को सुन्दर बनाऊं । यदि आप इस स्थान पर ओक , अंगूर या गुलाब चाहते तो उन्हें लगवाते । इसीलिए मैं किसी और की तरह बनने की बजाय अपनी क्षमता केअनुसार श्रेष्ठतम बनने का प्रयास करता हूँ और इसीलिए सदा प्रसन्न रहता हूँ । “
( पाठकों, इस छोटी सी कहानी में बहुत बड़ा संदेश छिपा है। हम अक्सर दूसरों से अपनी तुलना करके स्वयं को कम आंकने की गलती कर बैठते हैं । दूसरों की विशेषताओं से प्रेरित की बजाए हम अफ़सोस करने लगते हैं कि हम उन जैसे क्यों नहीं हैं । सभी में कुछ ऐसी योग्यता है, जो अन्य लोगो में नहीं है। जरुरत है तो सिर्फ उसे पहचानने की और उस गुणवत्ता को और विकसित करके अपने क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने की । )
लेखिका - कविता सिंह
( गौतम बुद्ध नगर- नोएडा