कविता : लो अब हम चांद पर भी पहुंच गये...
कविता : लो अब हम चांद पर भी पहुंच गये...
********************
लो अब हम चांद पर भी पहुंच गये
अपना परचम तिरंगा लेकर
ख्वाब लेकर, ख्वाहिशें लेकर
अमन का हमदम बनकर
लो अब हम चांद पर भी पहुंच गये ।
जो सदियों से ख्वाब संजोये थे
जो खून पसीने से बीज़ बोये थे
कर ताबीर मंजिल पर पहुंच गये
लो अब हम चांद पर भी पहुंच गये ।
हर शख्स अब चांद का बाशिंदा सा है
देख हौंसले दुनिया भी पसमांदा है
कर हौंसला तूफानों से जीत गये
लो अब हम चांद पर भी पहुंच गये ।
मुबारक हो यह चांद की वादी
यह आसमान की बेरोक आजादी
चाँद पर भी जश्न मनाने पहुंच गये
लो अब हम चांद पर भी पहुंच गये ।
फक्र है उन परवानों पर
नाज़ है उन दीवानों पर
तोड़ सोच की हदें कहाँ पहुंच गये
लो अब हम चांद पर भी पहुंच गये।
* रचनाकार : राजेश कुमार लंगेह (बीएसएफ)