कविता : लो अब हम चांद पर भी पहुंच गये...

कविता : लो अब हम चांद पर भी पहुंच गये...

कविता : लो अब हम चांद पर भी पहुंच गये...

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लो अब हम चांद पर भी पहुंच गये 
अपना परचम तिरंगा लेकर 
ख्वाब लेकर, ख्वाहिशें लेकर 
अमन का हमदम बनकर 
लो अब हम चांद पर भी पहुंच गये ।

जो सदियों से ख्वाब संजोये थे 
जो खून पसीने से बीज़ बोये थे 
कर ताबीर मंजिल पर पहुंच गये 
लो अब हम चांद पर भी पहुंच गये ।

 हर शख्स अब चांद का बाशिंदा सा है 
देख हौंसले दुनिया भी पसमांदा है
कर हौंसला तूफानों से जीत गये 
लो अब हम चांद पर भी पहुंच गये  ।

मुबारक हो यह चांद की वादी 
यह आसमान की बेरोक आजादी 
चाँद पर भी जश्न मनाने पहुंच गये 
लो अब हम चांद पर भी पहुंच गये  ।

फक्र है उन परवानों पर 
नाज़ है उन दीवानों पर 
तोड़ सोच की हदें कहाँ पहुंच गये 
लो अब हम चांद पर भी पहुंच गये।

* रचनाकार : राजेश कुमार लंगेह   (बीएसएफ)