कविता : सीमा प्रहरी

कविता : सीमा प्रहरी

      कविता : सीमा प्रहरी

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तू सिर्फ दुनिया से अलग नहीं 
तेरी दुनिया ही अलग है 
 तेरी नकल क्या करे कोई 
तेरी अस्ल ही अलग है
तू सिर्फ दुनिया से अलग नहीं 
तेरी दुनिया ही अलग है ....

तुम्हें क्यूँ किसी के मुकाबिल रखूं 
तेरा पैमाना ही अलग है 
मयकश हजारों देखे दुनिया में 
तेरा मुल्क से नशा ही अलग है 
तू  सिर्फ दुनिया से अलग नहीं 
तेरी दुनिया ही अलग है ...

नहीं ढूँढता हूं मैं तुम सा 
मालूम है रत्ती भर अक्स भी नहीं तेरा कोई 
 रूह की खूबसूरती का भी कहाँ सानी तेरा कोई 
तेरा होना ना होना मायने रखता है 
तू खड़ा सरहदों पर तो तो मुल्क महफ़ूज़ लगता है 
तेरी हस्ती,तेरी मस्ती अलग है 
तू सिर्फ दुनिया से अलग नहीं 
तेरी दुनिया ही अलग है...

तेरे आंख कान सरहदों पर लगे हैं
जहां आबादी खत्म हो वहीं साथ 
तेरे साथी चौबीसों घंटे डंटे हैं
तू चौंकन्ना तू सजग है 
तू सिर्फ दुनिया से अलग नहीं 
तेरी दुनिया ही अलग है

* रचनाकार : राजेश कुमार लंगेह                                       ( जम्मू )