कविता : ख्वाहिश ...
कविता : ख्वाहिश ...
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मेरी सांसों के सरगम का,
मधुर तुम सार लिख देना।
झुके गर नैन मेरे तो,
उसे इकरार लिख देना।
रहूँ ज़िन्दा न तू भूले,
पाक जो प्यार दिल में है।
ढाल इस पल को गज़लों में,
बना अशआर लिख देना।
अधूरे प्यार को करना,
मुक्कमल काम है तेरा।
डरूँ दुनिया से चाहे मैं,
मगर तुम प्यार
लिख देना।
प्यार की पीर गर देखे,
कभी तू मेरे चेहरे पर।
ले के आगोश में अपनी,
मेरा त्योहार लिख देना।
जिस्म दो जान इक बनकर ,
जिये बस ये तमन्ना है।
प्यार में जीतकर मुझसे,
तू मेरी हार लिख देना।
सामना मौत से हो जब,
तेरी बाहों में दम निकले।
ए सनम मेरी किस्मत में,
यही उपहार लिख देना ।
* कवयित्री : रजनी श्री बेदी
जयपुर ( राजस्थान )