राजपुरोहित नारी शक्ति  द्वितीय स्नेह सम्मेलन का भव्य आयोजन सम्पन्न

राजपुरोहित नारी शक्ति  द्वितीय स्नेह सम्मेलन का भव्य आयोजन सम्पन्न

राजपुरोहित नारी शक्ति  द्वितीय स्नेह सम्मेलन का भव्य आयोजन सम्पन्न

- सिरोही में नारी जागरूकता, आत्मनिर्भरता और नेतृत्व की ओर सार्थक पहल

* संवाददाता

   सिरोही : राजपुरोहित समाज की महिलाओं को संगठित कर उन्हें सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के उद्देश्य से “राजपुरोहित नारी शक्ति द्वितीय जिला स्तरीय स्नेह सम्मेलन” सिरोही में पूरे उत्साह और गरिमा के साथ आयोजित हुआ। यह आयोजन सिरोही स्थित स्वामी नारायण मंदिर, अनादरा चौराहा परिसर में मंगलवार को प्रातः 10 बजे प्रारंभ हुआ और शाम 5 बजे तक चला।

कार्यक्रम की शुरुआत संत श्री खेतेश्वर दाता एवं वीर शिरोमणि सुजा बाईसा की तस्वीर पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन से हुई। यह चरण पूरे सम्मेलन का भावनात्मक और आध्यात्मिक आधार बना, जिसमें महिला सशक्तिकरण के मूल्यों को परंपरा के साथ जोड़ा गया।

इस सम्मेलन का प्रमुख उद्देश्य राजपुरोहित समाज की महिलाओं और बालिकाओं को आत्मविश्वास, शिक्षा, नेतृत्व, स्वरोजगार और सामाजिक चेतना के क्षेत्र में जागरूक करना था आयोजको ने स्पष्ट किया कि यह सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि समाज में नारी नेतृत्व को दिशा देने वाला आंदोलन हैं।

सम्मेलन में मंच को संबोधित करते हुए कई प्रतिष्ठित वक्ताओं ने अपने विचार रखे। राजेन्द्रसिंह राजपुरोहित (सामाजिक न्याय विभाग) ने कहा कि महिलाओं को अधिकार देने के साथ-साथ नेतृत्व का अवसर देना जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि “नारी अब अबला नहीं, सबला है” — वह समाज के हर क्षेत्र में निर्णायक भूमिका निभा रही हैं।

रतनलाल पुरोहित (सेवानिवृत्त अध्यापक) ने कहा कि शिक्षा ही महिला सशक्तिकरण की सबसे मजबूत नींव हैं।बेटियों को उच्च शिक्षा और सामाजिक भागीदारी के लिए प्रेरित करना हर परिवार की ज़िम्मेदारी होनी चाहिए।

श्रीमती मंजू राजपुरोहित किवरली,श्रीमती रेखा पुरोहित भटाना, श्रीमती मंजू मनोरा, जयगोपाल राजपुरोहित, जवानमल दाँतराई और श्रीमती आशा पुरोहित तंवरी ने भी सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि राजपुरोहित समाज की बेटियाँ परंपरागत मर्यादाओं का पालन करते हुए आधुनिक युग की शिक्षा और सोच के साथ समाज का नेतृत्व करने में सक्षम बन रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं को सिर्फ घर की चारदीवारी तक सीमित रखना अब संभव नहीं, उन्हें समाज के हर स्तर पर भागीदारी देनी होगी।

सम्मेलन में समाज की अग्रणी महिलाएं — शिक्षिकाएं, डॉक्टर, उद्यमी और समाजसेवी  मंच पर आईं और अपने जीवन के अनुभव साझा किए। उन्होंने बेटियों को स्वरोजगार, शिक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रेरित किया। महिलाओं और बालिकाओं ने रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दी, जिसमें घूमर नृत्य और एकल नृत्य विशेष आकर्षण रहे। इन प्रस्तुतियों ने महिलाओं की विविध भूमिकाओं को सुंदरता से प्रस्तुत किया और सभागार को भाव-विभोर कर दिया।

सम्मेलन में शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली छात्राओं को विशेष रूप से सम्मानित किया गया। इससे बालिकाओं में आत्मविश्वास का संचार हुआ और अन्य बालिकाओं को भी प्रेरणा मिली कि मेहनत और लगन से वे समाज में नई पहचान बना सकती हैं।

इस सम्मेलन में सिरोही जिले के कोने-कोने से — गाँवों, कस्बों और शहरों से — बड़ी संख्या में महिलाओं और युवतियों ने भाग लिया।  सम्मेलन मे सहयोग करने वाले भामाशाह का माला पहनाकर व स्मृति चिन्ह भेट कर सम्मानित किया गया.राजपुरोहित समाज के बारह परगना की महिलाओं ने विशेष रूप से अपनी उपस्थिति से आयोजन को गौरवान्वित किया।

राजपुरोहित नारी शक्ति द्वितीय स्नेह सम्मेलन का मंच संचालन मंजूदेवी राजपुरोहित किवरली और रेखादेवी राजपुरोहित भटाना ने बेहद प्रभावशाली और व्यवस्थित ढंग से किया। सम्मेलन की सफलता पर आयोजकों ने सभी सहभागी महिलाओं, युवतियों और अतिथियों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि यह आयोजन नारी एकता, गरिमा और नेतृत्व को समाज में नया स्थान दिलाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम हैं।

यह सम्मेलन एक सशक्त संदेश देकर गया कि राजपुरोहित समाज की महिलाएं अब नई दिशा में अग्रसर हैं, परंपरा की जड़ों से जुड़ी हुईं, लेकिन आत्मनिर्भरता और नेतृत्व की ऊँचाइयों की ओर बढ़ती हुईं। यह आयोजन नारी सशक्तिकरण के क्षेत्र में एक प्रेरणास्रोत बनकर आने वाले वर्षों में और भी प्रभावशाली बदलाव की बुनियाद बनेगा।