सुरेश मिश्र की कविता : गलत है ....!
सुरेश मिश्र की कविता :
गलत है ....!
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अपने मुंह से अपना ही गुणगान,गलत है
खुद के घर में खुद ले-लें सम्मान,गलत है
हम ही सही,गलत हैं सारे जीवन में
जो भी ऐसा सोचें, ये फरमान गलत है।
जिनके घर में प्रभु ने सब कुछ सौंपा है
ऐसे लोगों को दे देना दान,गलत है
क्या लेकर आया,क्या लेकर जाएगा
फिर भी जो मन में करते अभिमान,गलत है
जिसने जन्म दिया,हमको पाला-पोसा
उनका किसी तरह का भी अपमान,गलत है
अपनी संस्कृति या परंपरा का बैरी
जो भी हो,जैसा भी हो,इंसान गलत है
"मां की दुआ पलट सकती पूरा जीवन"
ना माने तो फिर ऐसा विज्ञान,गलत है।
* सुरेश मिश्र
( कवि एवम् मंच संचालक )
मुंबई ...