ठेंठ देसी कविता : हमार बेल्हा....

ठेंठ देसी कविता : हमार बेल्हा....

ठेंठ देसी कविता : हमार बेल्हा....

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हरे रामा बेल्हा क सुनिल्या कहानी
लगे बड़ी सुहानी रे हरी।

गांउ-गांउ मा राजा होलें, 
सुनले हई कहानियां रामा,
हरे रामा, मस्ती मा बा जिंदगानी,
लगे बड़ी सुहानी रे हरी।

चमरौधा,लोनी,बकुलाही, 
सई बनल करधनियां रामा,
हरे रामा, गंगा क अकथ कहानी
लगे बड़ी सुहानी रे हरी।

खाइ चोटहिया मीठा बोलइं,
औंरा देइ तकतिया रामा,
हरे रामा,बुढ़वन में झांकइ जवानी
लगे बड़ी सुहानी रे हरी।

बेलखर बाबा,बेल्हा माई,
 इहीं शीतलन मइया रामा,
हरे रामा,चौहरजन शक्ति के जानी
लगे बड़ी सुहानी रे हरी।

सई उतरि के राम नहइलेन,
पांडव समय बितउलेनि रामा,
हरे रामा, मनगढ़ क के न बखानी
लगे बड़ी सुहानी रे हरी।

शिक्षा अउ साहित्य बसल बा,
रग-रग मा, ई जिलवा रामा,
हरे रामा, ठाठ अहइ खानदानी
लगे बड़ी सुहानी रे हरी।

बीरापुर हौ,शान हमारो,
सई नदी के तिरवा रामा
हरे रामा, जहवां भएन बलिदानी 
लगे बड़ी सुहानी रे हरी।

फिल्म-सीरियल पटल पड़ल बा,
इक-इक हेन धुरंधर रामा,
हरे रामा, कवि सुरेश क नदानी,
लगे बड़ी सुहानी रे हरी

हरे रामा, बेल्हा क सुनिल्या कहानी
लगे बड़ी सुहानी रे हरी।

* सुरेश मिश्र ( वरिष्ठ कवि एवं मंच संचालक - मुम्बई )