डमरू छंद
डमरू छंद
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अयोध्या में बालक राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई, तभी लोगों ने देखा कि अचानक बालक राम ने अपनी आंखें खोलीं और इधर उधर देखने लगे। यह दृश्य देखकर सारे देवी, देवता,सुर,नर,मुनि अपनी-अपनी तरह से खुशी का इजहार करने लगे ...
घनन-घनन घन गरजत बरसत,
सनन-सनन सन पवन चलत वन,
तन मन लरजत, सजत मदन शर,
कल-कल करत,बहत जल नद मन,
अगन मगन झटपट लट लहरत,
करतल करत गगन सब भगवन,
दशरथ ललन करत अस करतब,
झपट-झपट कर,लखत सकल जन।
* कवि : सुरेश मिश्र
( मंच संचालक -मुम्बई )