अवधी गीत : इहां ठंडी में तन सुरसुराइ लगल सइयां कब अइब्या
अवधी गीत : इहां ठंडी में तन सुरसुराइ लगल सइयां कब अइब्या
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इहां ठंडी में तन सुरसुराइ लगल
सइयां कब अइब्या मोरे सखियन क गन्ना पेराइ लगल
सइयां कब अइब्या ।
कोहिरा शुरू भइला, कउड़ा बरात बा,
गउवां म एक्कइ दिन,दुइ-दुइ बरात बा
फिनि से रहिया में डोली देखाइ लगल
सइयां कब अइब्या ।
बोला हम केकरा से खेतवा जोताई,
अलुवा बोवाई,डुड़ुहिया चढ़ाई,
गोहूं बोवइ बिन खेतवा भराइ लगल
सइयां कब अइब्या ।
अब ले बोवाइल न चनवा मटरिया,
तोहके बुलावेला सजना सेंवरिया,
रामफल के त चनवउ खोंटाइ लगल
सइयां कब अइब्या ।
जड़वा में मौसम भइल बा दिवाना,
दियना हमइं मारइ रतिया म ताना,
का करी जउ जिया गुदगुदाइ लगल
सइयां कब अइब्या ।
एगहन लगल मोरे बारे सांवरिया,
कब ले जोहइब्या तु हमसी डगरिया,
मोरे मनवां क पर फरफराइ लगल,
सइयां कब अइब्या ।
अब ले भराइल न हमरी रजइया,
कइसे जिए बोला तोहरी लुगइया,
घरे-घरे इहां सुइटर बिनाइ लगल
सइयां कब अइब्या ।
मौसम सुहाना बुलावेला देश हो,
बीते उमिरिया का करब्या सुरेश हो,
मोरे जियरा म कुछ कुलबुलाइ लगल
सइयां कब अइब्या ।
मोरे परदेशी जिउ छटपटाइ लगल,
सइयां कब अइब्या ।
* रचनाकार : सुरेश मिश्र ( हास्य-व्यंग्य कवि एवं मंच संचालक ) - मुम्बई