अवधी विरह गीत - धनिया नैहर से सासुर
अवधी विरह गीत - धनिया नैहर से सासुर ...
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धनिया नैहर से सासुर के अइबू की ना।
प्यार क फूल दिल में, खिलयबू की ना।।
थर्र-थर्र कांपिला जाड़ा सतावै।
सुख-चैन बेघर निदिंयो न आवै।
दिल में तहरै जगह बा,बनयबू की ना।।
मौसम सुहाना रंगीला सजल बा।
गीत के संग धनि कुहकत गज़ल बा।
सुर संगम क सरिता,बहयबू की ना।।
रिहकै-सिंहकै रगीनियां फिकर में।
व्याकुल बगिया बसंती जिकर में।
बैरी बनल लेखनिंया,चलयबू की ना।।
कविता ग़ज़ल पुरवाई कहां हे।
सवैया में रुपक रुबाई कहां हे।
छंद रस से अलंकृत करयबू की ना।।
* कवि : विनय शर्मा दीप (मुंबई)