Mahakumbh 2025 : कल्याण के श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम में लगाई आस्था की डुबकी
![Mahakumbh 2025 : कल्याण के श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम में लगाई आस्था की डुबकी](https://pen-n-lens.in/uploads/images/2025/02/image_750x_67a9b161cf388.jpg)
Mahakumbh 2025 : कल्याण के श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम में लगाई आस्था की डुबकी
* अमित मिश्रा
प्रयागराज : महाकुम्भ 2025 निमित्त प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाने देश-विदेश से पहुँचने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं का वहां तांता लगा हुआ है। कल्याण के प्रख्यात समाजसेवी विरेंद्र उपाध्याय ने भी प्रयागराज पहुंचकर संगम में सपरिवार आस्था की डुबकी लगाई। इस संगम स्नान में विरेन्द्र उपाध्याय और उनकी पत्नी कुसुम विरेन्द्र उपाध्याय, चाचा जी श्री गिरजा शंकर उपाध्याय शामिल हुए।
इस अवसर पर तीर्थ पुरोहित श्री अनिल कुमार द्विवेदी तथा रामानुजाचार्य श्री प्रदीप कुमार मिश्रा की उपस्थिती उल्लेखनीय है।
समाजसेवी विरेन्द्र उपाध्याय ने इस अवसर पर तीर्थ पुरोहित श्री अनिल कुमार द्विवेदी को सम्मानित किया तथा संगम स्नान के लिए आने वाले भक्तों के संगम स्नान को सार्थक बनाने में उनके पूर्ण सहयोग की प्रशंसा की।
संगम स्नान के उपरांत समाजसेवी विरेन्द्र उपाध्याय ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि भारतवर्ष में कुंभ मेले का आयोजन आदिकाल से चली आ रही संस्कृति और परंपरा का मुख्य सनातनी अंग है। कुंभ मेले के आयोजन की अपनी एक अलग ही छवि है। ऐसा माना जाता है कि जब देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया तब समुद्र मंथन से अमृत कुम्भ की प्राप्ति हुई। कहा जाता है कि उसी अमृत की बूंदें पृथ्वी के चार स्थानों क्रमशः नासिक, उज्जैन, प्रयागराज और हरिद्वार में गिरीं थीं l तब से ही इन स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन प्रारम्भ हुआ। यह चारों स्थान आदिदेव महादेव के अलग - अलग स्वरूपों के लिए प्रसिद्ध हैं।
उन्होंने आगे कहा कि कुंभ मेले तीन प्रकार के होते हैं, पहला वह जो हर 6 वर्ष में आयोजित होता है । यह अर्द्धकुंभ कहलाता हैं ।जो हर 12 वर्ष में आयोजित होता है वह पूर्ण कुंभ कहलाता है, और तीसरा यानी महाकुंभ हर 144 वर्ष में आयोजित होता है। जो इस वर्ष 13 जनवरी 2025 से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में प्रारम्भ हुआ है और 26 फरवरी 2025 तक अनवरत जारी रहेगा। प्रयागराज में 144 वर्षों बाद आये इसी महाकुम्भ निमित्त संगम में करोड़ों श्रद्धालु आस्था की पावन डुबकी लगा रहे हैं।