कवि सुरेश मिश्र की कलम से प्रासंगिक कविता : प्रथम पूज्य गणपती गजानन....
कवि सुरेश मिश्र की कलम से प्रासंगिक कविता :
प्रथम पूज्य गणपती गजानन....
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प्रथम पूज्य गणपती, गजानन,
जोहे तेरी राह सनातन,
राग द्वेष छल दंभ मिटाकर
तन,मन,हिय सब कर दे पावन।
दो वर्षों से अंखियां तरसें,
नैना-मेघा संग-संग बरसें,
सावन-भादों नयन हुए हैं
इस बेरी तो आओ घर से।
भक्त तुम्हारा कैसे पूजे?
कैसे घर-घर आरति गूंजे?
भादों में लंबोदर को तज-
देव नहीं भाते हैं दूजे।
जैसे भी हालात रहेंगे,
सूखे या बरसात रहेंगे,
एकदंत, हे सिद्धिविनायक-
ग्यारह दिन तक साथ रहेंगे।
जग से पापाचार मिटा दो,
जग से अत्याचार मिटा दो,
लूट मची है जो भारत में -
सारा भ्रष्टाचार मिटा दो।
मूषक पर सवार हो आओ,
रिद्धि सिद्धि को संग ले आओ
मौसम में आतंक भरे जो,
कुछ उपाय उनका करवाओ।
* कवि : सुरेश मिश्र
( मुंबई )