कविता : पाती

 कविता : पाती

       ***  कविता : पाती ***

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मनभावन मौसम हुआ,

जलने लगे अलाव


साजन अब तो आइए,

बुला रहे हैं गांव


बुला रहे हैं गांव,

जोहती राह लुगाई


फिर से चहके स्वेटर,

कंबल और रजाई


कह सुरेश कविराय

लगे मन में सेहलावन


सेजिया कब करिएगा

हे सइयां मनभावन

 * कवि  : सुरेश मिश्र -मुम्बई