कविता : मेघ

कविता : मेघ

               कविता : मेघ
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चम-चम चमके बिजुरिया,
झम-झम बरसें मेघ
सनन-सनन बहके पवन,
बढ़ा रहा उद्वेग

बढ़ा रहा उद्वेग,
हिया धक-धक धड़काए
मनभावन मौसम मनवा में 
आगि लगाए

कह सुरेश जो सजन संग हैं                 मुखड़ा दमके 
विधुर-विरहिणी व्यथित,
गगन जब चम-चम चमके

* कवि : सुरेश मिश्र
 हास्य - व्यंग्य कवि (मुंबई)