जितेंद्र कुमार दुबे की विशेष कविता : आपकी यादों का.....

जितेंद्र कुमार दुबे की विशेष कविता : आपकी यादों का.....

कविता : आपकी यादों का.....

*************************

कहा था न मैंने
एक दिन दूर चला जाऊँगा....
कुछ साथ लेकर नहीं जाऊँगा
पर हाँ....कुछ खामोश चेहरों पर
हँसी ला कर चला जाऊँगा.....
नेकियों की राह चलकर
कुछ पहचान अपनी छोड़ जाऊँगा
खुशियाँ बाँटकर सब में
गमों को खुद पीकर चला जाऊँगा
आँखों में बाढ़ ला सके जो
ऐसी निशानियाँ छोड़ जाऊँगा....
नादान परिंदों को भी
याद मैं बहुत आऊँगा.....

शायद वक्त की रफ्तार ही
कुछ तेज थी....
इसलिए कुछ काम
अधूरा छोड़ आया हूँ.....
कुछ ख्वाहिशें अधूरी लेकर
चुपचाप चला आया हूँ....
पर मेरे दोस्तों....सब गिले-शिकवे
वहीं छोड़ आया हूँ......
हर अपनों से.....!
कुछ न कुछ सबक सीखा मैंने
जाना यह फलसफा भी.......
कि दर्द उस समय बहुत होता है
जब कोई अपना दगा देता है....
इसीलिए मैं......
सभी अपनों के घाव पर
मरहम भी लगा कर आया हूँ.....
दोस्तों मान लो कि अब मैं.....!
नए सफर पर चला आया हूँ,
यहाँ भी कुछ नया करूँगा,
कुछ अच्छा करूँगा.....
इस कदर काबिल बनूँगा कि
पाने वाला खुशी में और
फिर बाद में खोने वाला
गम के आँसू जरूर बहाएगा....
इसी आस में....इस चमन में भी
आपकी यादों का.....!
दीया जगमगाया हूँ.......
आपकी यादों का.....!
दीया जगमगाया हूँ........

* रचनाकार....
     -जितेन्द्र कुमार दुबे
    ( अपर पुलिस अधीक्षक, कासगंज )