कविता : रामायण के सुवचनों से, आओ शुद्ध विचार लें...
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कविता : रामायण के सुवचनों से, आओ शुद्ध विचार लें...
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राम नाम का सिमरन करके,अपने जन्म सुधार लें,
रामायण के सुवचनों से, आओ शुद्ध विचार लें।
राम से पुत्र मिले सबको तो धरती पर ही स्वर्ग मिले।
भाई राम सा हो जाए तो रिश्तों में न फर्क मिले।
तारणहार हमारे रामा, हमको भी तू तार दे
रामायण के सुवचनो से, आओ शुद्ध विचार लें।
पिता राम सा जिसका हो, वहां लवकुश से सब वीर बने,
समय की धारा जो भी हो, मुख पर वो गर्वित धीर रखे।
प्रभु राम अब सबकी विनती, सबके घर विराज लें।
रामायण के सुवचनों से, आओ शुद्ध विचार लें।
राम बिना है सिया अधूरी, सिया बिना है राम,
सियाराम मन से जप-जप के, बनते बिगड़े काम,
सियाराम को ह्रदय बिठा के ,जीवन उन पर बलिहार करें।
रामायण के सुवचनों से, आओ शुद्ध विचार लें।
मर्यादा पुरुषोत्तम राजा , कहां कोई अब दूजा है,
रोम-रोम में राम बसे, अब घर-घर इनकी पूजा है।
होगी राममय सब दुनिया, राम तो जरा पधार लें
रामायण के सुवचनों से, आओ शुद्ध विचार लें।
* कवयित्री : रजनी श्री बेदी
( जयपुर- राजस्थान )