सुरेश मिश्र की कलम से विशेष कविता : जाड़े का मौसम 

सुरेश मिश्र की कलम से विशेष कविता : जाड़े का मौसम 

सुरेश मिश्र की कलम से विशेष कविता:

                जाड़े का मौसम 

               ***************

         

मौसम फिर हरिया गइल,

फिर जल गए अलाव
काम निबहुरा चलि रहा,

फिर से आपन दांव
फिर से आपन दांव,

नाव विरही की नाचे
विधुर गांव का रोज,

हिया की पाती बांचे
कह सुरेश दिल-लकड़ी जरे

भरे हिय में गम
गदराया,अलसाया,

आगि लगाए मौसम।

* कवि : सुरेश मिश्र

               ( मुंबई )