कवि का वेलेंटाइन डे पंगा : आखिर क्यों कह रहे हैं "हम 'वेलेंटाइन डे' नहीं मनाएंगे ?"

कवि का वेलेंटाइन डे पंगा : आखिर क्यों कह रहे हैं "हम 'वेलेंटाइन डे' नहीं मनाएंगे ?"

कवि का वेलेंटाइन डे पंगा : आखिर क्यों कह रहे हैं "हम 'वेलेंटाइन डे' नहीं मनाएंगे ?"

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पूरे फागुन,जीभर प्यार लुटाएंगे
हम 'वेलेंटाइन डे' नहीं मनाएंगे।

प्यार करेंगे मां से, जिसने जनम दिया,
प्यार करेंगे पापा से, जो धन्य किया,
बांध कलाई में पावन राखी मेरे-
जिसने जग में जीवन आज अनन्य किया

जीवन में हर पल खुशियां बरसाएंगे
हम 'वेलेंटाइन डे' नहीं मनाएंगे।

प्यार करेंगे गुरुवर से,जो ज्ञान दिए,
बड़के भइया,जो दिल में अभिमान दिए,
प्यार करेंगे ऐसे वीर शहीदों को
जो भारत मां पर अपना बलिदान दिए

भाभी पर होली भर रॅंग लगाएंगे
हम 'वेलंटाइन डे' नहीं मनाएंगे ।

अपनी संस्कृति-संस्कार मत छोड़ो जी,
पाश्चात्य के ये विकार मत जोड़ो जी,
नए खून में 'वलगर्टी' की बेड़ी है
इस बेड़ी को अब तो मिलकर तोड़ो जी

प्रेम 'कृष्ण-राधे' वाला सरसाएंगे।
हम 'वेलंटाइन डे' नहीं मनाएंगे ।

* कवि : सुरेश मिश्र ( मंच संचालक - मुम्बई )