कविता : गम

कविता : गम
कवयित्री : रजनी श्री बेदी

               कविता : गम
             ************

गम को दिल से कभी भी लगाना नहीं,
खुद को खुद से कभी तुम चुराना नहीं।

राज़ दिल मे हो चाहे हज़ारों दफन,
अंधा विश्वास करके बताना नहीं।

फिक्र तेरा अगर हमनशी न करे,
अश्क फिर भी कभी तुम बहाना नहीं।

कर के फौलाद दिल को ये जीवन जियो,
ज़िन्दगी है हसीं तुम गंवाना नहीं।

कशमकश तेरी आँखों में रहती सदा,
कोई समझेगा ऐसा ज़माना नहीं।

तेरे तन को हरा दे ये दुनिया कभी,
दिल को अपने मगर तुम हराना नहीं।

लोग तुमको गिराएं रखो हौंसला,
खुद की नज़रों से खुद को गिराना नहीं।

 'रजनी' लिखती गजल स्याही ले दर्द की,
बिन कहे वाह महफिल से जाना नहीं।


* कवयित्री : रजनी श्री बेदी
          जयपुर ( राजस्थान )