कविता : कलम की शक्ति... - मिलीता चौधरी
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कविता : कलम की शक्ति...
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- मिलीता चौधरी
कलमें बहुत हैं कोई चलाए तो सही..
नगमें बहुत हैं कोई गाये तो सही..
सजी थी महफिल कलमों की
बरसात हो रही थी तमगों की...
कलम देना चाहती थी उसे ,
साहित्य का संसार
पर उसे पसंद था नकली संसार
दुनियां की चकाचौंध ने मजबूर कर दिया उसे
कलम से दूर कर दिया उसे..
फिर क्या था ,
बोली कलम, कर दूंगी
माफ तुझे,
मेरे पास आए तो सही !!
( गौतम बुद्ध नगर - नोएडा )