भारतीय संस्कृति की रक्षा में तत्पर केंद्रीय संस्कृत विद्यालय...
भारतीय संस्कृति की रक्षा में तत्पर केंद्रीय संस्कृत विद्यालय...
* संवाददाता
मुंबई : विद्याविहार स्थित केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, के.जे. सोमैया परिसर, मुम्बई में गुरुपूर्णिमा पर्व बड़े हर्ष के साथ मनाया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रभारी निदेशक प्रो. भारत भूषण मिश्र ने कहा कि गुरु-शिष्य की परम्परा भारत में सनातन समय से बना हुआ है, जिस मार्ग पर चलना हम सभी का कर्तव्य है।
व्याकरण विभाग के अध्यक्ष प्रो. बोध कुमार झा ने कहा कि वेद आदि नहीं है। यदि आदि होगा तो इसकी मृत्यु निश्चित है, इसलिए वेद अनादि है, जिसकी कभी मृत्यु नहीं हो सकती है। भारतीय वैदिक संस्कृति के आदि पुरुष महर्षि वेदव्यास हैं ।
इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक डॉ. जितेन्द्र कुमार रायगुरु एवं डॉ. सुभाषचन्द्र मोना, डॉ. गीता दूबे, डॉ. विद्याधर हरिचन्दन, डॉ. एस. कृष्णा, डॉ. श्वेता सूद, डॉ. मिनाक्षी बर्हार्ट, डॉ. नवीन कुमार मिश्र, और वैशाली निवडुंगे ने भी गुरु-शिष्य परम्परा पर अपने-अपने विचारों को व्यक्त किया।
जबकि गुरु-शिष्य के महत्त्व पर परिसर की छात्रा यशश्री खानोलकर, वेदा साखरे, तथा छात्र संदीप जोशी, प्रथमेश थिटे, अभिषेक थिटे तथा मिनिनाथ ने भीअपने-अपने विचार व्यक्त किया।
मानववादी लेखक संघ,निर्मला फाउंडेशन के कार्याध्यक्ष, शिक्षाविद् फोरम के अध्यक्ष, आल इंडिया यादव महासभा के महासचिव ,समाजसेवी शिक्षाविद् चंद्रवीर बंशीधर यादव ने संस्थान के प्रभारी निदेशक प्रो.भरत भूषण मिश्र , शिक्षा जगत में सर्वत्र अपनी कर्तव्य निष्ठा एवं ईमानदारी हेतु प्रसिद्ध सूचना जनसंपर्क अधिकारी डॉ. रंजय कुमार सिंह को ऐसे आयोजनों हेतु बधाई दी है।
स्वागत भाषण डॉ. धीरज कुमार मिश्र, धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रंजय कुमार सिंह एवं मंच संचालन डॉ. सोमेश बहुगुणा ने किया। इस अवसर पर सभी शिक्षक, कर्मचारी और छात्र उपस्थित थे।