प्रशांत शर्मा द्वारा लिखी गई एक खूबसूरत कविता- जुस्तजू ....

प्रशांत शर्मा द्वारा लिखी गई एक खूबसूरत कविता- जुस्तजू ....
प्रशांत शर्मा

प्रशांत शर्मा  द्वारा लिखी गई एक खूबसूरत कविता...
                 जुस्तजू ......
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शाम है धुआँ-धुआँ
हुस्न भी उदास है,
मेरी खुशियां अब हैं ढल चुकीं
मुझे रंज-ओ-गम की तलाश है ।


ये चमक-दमक ये शोखियाँ
दो चार दिन ही साथ हैं,
मेरी फकीरी  मेरा खुल्द है
मुझे मुश्त-ए-ख़ाक की तलाश है।


एक अजनबी हमसाये से
रूह का राब्ता रहा,
मुझे क़ुर्बतों की चाहत नहीं
मुझे हिज्र की तलाश है ।


आँधियों की गोद में
मेरी जुस्तजू जवाँ हुई,
मुझे रौशनी की तलब नहीं
मुझे अंधेरों सी तलाश  है ।


रौशनी के झरोखों से
अँधेरा झांकता रहा ,
मुझे सूरज से गिला नहीं
मुझे जुगनुओं की तलाश है।

मेरी खुशियां अब हैं ढल चुकीं
मुझे रंज-ओ-गम की तलाश है ।