कविता : फागुन
कविता : फागुन
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रंग में,अनंग में, बेरंग हुई बावरी तो,
अंग-अंग जंग करें, देखिए फागुन में।
टोली-टोली, होली में ठिठोली करें संग-संग,
हर कोई पिए भंग, देखिए फागुन में।
लाल-लाल गाल हैं गुलाल बेमिसाल देखो,
चाल ढाल में उमंग, देखिए फागुन में।
बड़े-बड़े संत भी बसंत में अनंत हुए,
छोरी जब हो बेढंग, देखिए फागुन में।
* रचनाकार : सुरेश मिश्र ( हास्य-व्यंग्य कवि एवं मंच संचालक ) मुंबई