कजरी : छम-छम बाज रही पैजनियां ...

कजरी : छम-छम बाज रही पैजनियां ...

कजरी : छम-छम बाज रही पैजनियां...

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(वृंदावन की कुंज-गलियों में राधा, कृष्ण के साथ खेलने बरसाने से आती हैं पर वहां भगवान श्री कृष्ण ने अपनी लीला दिखानी शुरू कर दी और राधा को परेशान करने में आनंद का अनुभव करने लगे।)

छम-छम बाज रही पैजनियां।
वृंदावन की डगरिया ना।।

बरसाने से आई राधा,कान्हा को हरषाने।-2
ताने मार रही बंसरिया।।

चटकावैं,मटकावैं कान्हा,रहि-रहि तान सुनावैं कान्हा।-2
नाना रुप धरैं हो सांवरिया।।

नाच नचावैं राधे कान्हा,कान्हा से बरजोरी।-2
तोरी दिहलैं कांछि गगरिया।।

लूका छिपी खेल खेलावैं,डारी -डारी से भरमावैं।-2
पावैं नाहीं कउनौ गुजरिया।।

गइया झूमें बछरु झूमें,झूमैं दीप कन्हैया।-2
थइया-थइया मचावैं  छोहरिया।।

* कवि : विनय शर्मा  'दीप ' (मुंबई)