कविता : सिया के राम आए हैं
कविता : सिया के राम आए हैं
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सखी,गाओ मंगलाचार,
सिया के राम आए हैं।
राम आए हैं, श्रीराम आए हैं,
पांच सदी के बाद,
अवध के धाम आए हैं।
गिद्ध जटायू तारणहारे,
पग रज जाइ अहिल्या तारे,
हे निषाद के राम रमइया,
पार करे जो जग की नइया,
दुनिया के हैं जो पालनहार,
सिया के राम आए हैं।
पांच सदी के बाद,सिया के राम आए हैं
दीनबंधु, करुणानिधि,स्वामी,
जिए सदा जीवन निस्कामी
रघुकुल रीत निभाने वाले,
सुर-नर-मुनि सबके रखवाले,
नाम ही जिसका है आधार
सिया के राम आए हैं।
पांच सदी के बाद,सिया के राम आए हैं
असुरों को भी जिसने तारा,
कौशल्या का राज दुलारा,
आरति गाइ करो सब वंदन,
दशरथ नंदन,का अभिनंदन,
सृष्टि के हैं जो सरकार,
सिया के राम आए हैं
पांच सदी के बाद सिया के राम आए हैं
है सुखदाता, भाग्य विधाता,
जिसकी महिमा हर युग गाता,
बाल्मीकि -तुलसी के प्यारे,
खुद पहुंचा शबरी के द्वारे,
त्याग -तपस्या के अवतार,
सिया के राम आए हैं।
पांच सदी के बाद,सिया के राम आए हैं।
* कवि : सुरेश मिश्र
(प्रसिद्ध मंच संचालक-मुम्बई )