गंवई कविता : फिर से खेलब होली

 गंवई कविता : फिर से खेलब होली

 गंवई कविता : फिर से खेलब होली

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होली की शुरुआत हौ,  होइ जाओ तैयार
रंग,गुलाल,अबीर से,  फिर खेली यहिं बार
फिर खेली यहिं बार,  रेंड़ गउवां मा गाड़े
बुढ़ए ताकइ लागि गए ,  फिनि आड़े-आड़े
कह 'सुरेश' घर आवा,  बालम सजे रॅंगोली
दुनू परानी मिलिके,  फिर से खेलब होली

* कवि : सुरेश मिश्र (मंच संचालक-मुम्बई)