तृतीय अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी व सम्मेलन “अंतरराष्ट्रीय आरोग्य 2024” का अवध शिल्पग्राम-लखनऊ में शुभारंभ
तृतीय अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी व सम्मेलन “अंतरराष्ट्रीय आरोग्य 2024” का अवध शिल्पग्राम-लखनऊ में शुभारंभ
-भारतीय पारंपरिक चिकित्सा को विश्व भर में स्थापित कर रहा है भारत : सर्बानन्द सोणोवाल
-कैबिनेट मंत्री, आयुष मंत्रालय भारत सरकार सर्बानंद सोणोवाल ने किया उद्घाटन
-दुनिया के 60 देशों से 250 प्रतिनिधि कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे
-चार दिवसीय सम्मेलन में आयुष चिकित्सा पद्धतियों के महत्व, नए अनुसंधानों, लोगों तक इसकी पहुंच बढ़ाने, जीवनशैली को बेहतर करने में इनकी भूमिका पर होगी चर्चा
-पहले दिन के सत्रों में “आयुर्वेद आहार” तथा आयुष के “वैश्विक परिपेक्ष्य” पर हुई बात
* हेल्थ डेस्क
लखनऊ, 23 फरवरी: अवध शिल्पग्राम में आज से शुरू हुए चार दिवसीय "अंतरराष्ट्रीय आरोग्य 2024" का उद्घाटन करते हुए केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोणोवाल ने कहा कि भारत की पारम्परिक चिकित्सा पद्धतियों को वैश्विक मंच पर स्थापित करने के लिए भारत एक केंद्र के रूप में स्वयं को प्रमाणित कर रहा है। श्री सोणोवाल अवध शिल्पग्राम में शुरू हुए तृतीय “अंतरराष्ट्रीय आरोग्य 2024" का बतौर मुख्य अतिथि उद्घाटन करने आए थे।
कार्यक्रम में देश-विदेश के प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक स्वास्थ्य” हमारी कार्यप्रणाली है, जबकि रोकथाम, उपचार और पुनर्वास एक समाज के रूप में हमें स्वस्थ रखने के स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि लोकल से वोकल और वोकल से ग्लोबल तक पारंपरिक औषधियों को विश्व स्तर पर बढ़ावा देना हमारा उद्देश्य है तथा लोगों को आयुर्वेद तथा अन्य आयुष चिकित्सा पद्धतियों के प्रति जागरूक करने का दृष्टिकोण हम अपने साथ लेकर चल रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि “2047 तक, भारत का लक्ष्य दुनिया का नंबर एक विकसित देश बनने का है। भारत देश के भीतर उपलब्ध संसाधनों को देख सकता है और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पहले ही भारतीय क्षमताओं और संसाधनों को मान्यता दे दी है। वर्तमान में हमारे पास 170 से अधिक देश हैं जो चिकित्सा की पारंपरिक प्रणालियों का अभ्यास कर रहे हैं।
इससे पूर्व आयुष मंत्रालय भारत सरकार, फिक्की, वाणिज्य विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित 'अंतरराष्ट्रीय आरोग्य 2024' में अपनी बात रखते हुए डॉ. मुंजपरा महेंद्रभाई, माननीय केन्द्रीय राज्य मंत्री, आयुष और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले एक दशक से, आयुष मंत्रालय ने आयुष क्षेत्र में परिवर्तनकारी पहल की है, जो अपनी स्थापना के बाद से ही भारत की पारंपरिक चिकित्सा परिदृश्य को नया आकार दे रही है। आयुष मंत्रालय ने पारंपरिक दवाओं और होम्योपैथी के क्षेत्र में अनुसंधान व इनकी प्रमाणिकता स्थापित करते हेतु 24 देशों के साथ एमओयू साइन किए हैं। वहीं 34 देशों में आयुष मंत्रालय ने 39 आयुष सूचना सेल स्थापित किए हैं। इसके अलावा 22 प्रमुख डिजिटल पहलों के साथ एक ग्रिड क्षेत्रीय स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली भी शुरू की है।
राज्य मंत्री आयुष, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन, उत्तर प्रदेश सरकार श्री दयाशंकर मिश्र जी ने कहा कि “लोगों को बेहतर स्वास्थ सुविधाएं देने के उद्देश्य से 4000 छोटे-बड़े अस्पताल उत्तर प्रदेश में बनाए गए हैं। 50 बेड के 11 अस्पताल अभी सेवाएं दे रहे हैं और ऐसे ही 14 नए अस्पताल विभिन्न जिला मुख्यालयों पर बनाए जा रहे हैं। गोरखपुर में आयुष विश्वविद्यालय बनाया जा रहा है। 19 राजकीय मेडिकल कॉलेज स्थापित हैं और 2 नए बन रहे हैं। 86 प्राइवेट मेडिकल कॉलेज, 300-400 फार्मा व नर्सिंग कॉलेज लोगों को सरल-सहज स्वास्थ सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए तत्पर हैं।“
श्रीमती प्रतिभा शुक्ला, माननीय मंत्री महिला कल्याण, बाल विकास और पुष्टाहार, उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि “कोरोना महामारी के समय, अन्य दवाओं के साथ-साथ, आयुर्वेद, योग और पुष्टाहार मंत्रालय प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी (आयुष) ने भी लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।”
उत्तर प्रदेश सरकार की प्रमुख सचिव लीना जौहरी जी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आयुष को मान्यता मिलने में अनुसंधान और शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला और एक चिकित्सा विकल्प के रूप में इसके महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी में अनुसंधान और शिक्षा के लिए राज्य के बजट में प्राविधान के साथ, आयुष उन्नति कर रहा है।
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री बी.के. सिंह ने आयुष प्रणाली के महत्व पर प्रकाश डालते हुए जी20 और ब्रिक्स जैसे मंचों पर पारंपरिक चिकित्सा की वैश्विक मान्यता पर जोर दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत फिक्की आयुष समिति के सह-अध्यक्ष श्री अरविंद वर्चस्वी के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि, “आयुष की वैश्विक मान्यता इसके स्थायी महत्व को रेखांकित करती है।
उद्घाटन सत्र के अंत में डॉ. प्रदीप मुल्तानी, अध्यक्ष, फिक्की आयुष समिति एवं मुल्तानी फार्मास्यूटिकल्स ने कार्यक्रम में आए हुए अतिथियों को धन्यवाद दिया।
_ दो पुस्तकों व एक रिपोर्ट का विमोचन: “अंतरराष्ट्रीय आरोग्य 2024” के उद्घाटन सत्र में रिपोर्ट, इंडीएक्सपोर्ट (टी एंड सीएम एक्सपोर्ट्स के लिए अनुपालन रोडमैप), आयुष वर्क्स (वैज्ञानिक साक्ष्य का एक संग्रह) वॉल्यूम वन और आयुष विभाग, उत्तर प्रदेश की “वेलनेस इन एवरी बाइट, आयुर्वेदिक डिलाइट” पुस्तकों का विमोचन किया गया। है।