रामायण और श्रीमद्भागवतगीता स्कूल पाठ्यक्रम में जल्द हो सकते हैं शामिल, सांसद गोपाल शेट्टी के प्रयास को यश !
रामायण और श्रीमद्भागवतगीता स्कूल पाठ्यक्रम में जल्द हो सकते हैं शामिल, सांसद गोपाल शेट्टी के प्रयास को यश !
- भारतीय सभ्यता और संस्कृति का मूल आधार अब छात्रों के शिक्षण से जुड़कर उनका जीवन करेगा सार्थक
- सांस्कृतिक धरोहरों के जतन, पुनरुद्धार और देश तथा देशवासियों के विकास एवं प्रगति के लिए समर्पित भाजपा सरकार का होगा एक और ऐतिहासिक कदम
* अमित मिश्रा
बोरीवली : भारतीय सभ्यता और संस्कृति का मूल आधार यानि रामायण और श्रीमद्भागवतगीता को अब स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल किया जा सकेगा। इन दोनों महान ग्रंथों का वाचन, पठन और मनन कर छात्र भारतीय संस्कृति के दिव्य प्रभाव को बचपन से ही अपने जीवन में उतारते हुए अपना जीवन धन्य कर सकेंगे। ये दोनों मात्र पुस्तकें नहीं हैं बल्कि हमारी सभ्यता और संस्कृति की जड़ें भी हैं । जड़ अगर मजबूत रहे तो नन्हा पौधा विशाल वृक्ष अवश्य बनता है तथा दूसरों को छाया देते हुए पृथ्वी पर अपनी उपस्थिति को सार्थक तथा धन्य मानता है। स्कूल पाठ्यक्रम में रामायण और श्रीमद्भागवत गीता को शामिल कराने का श्रेय उत्तर मुम्बई के सांसद गोपाल शेट्टी को जाता है जिनके निरंतर प्रयासों से यह सब संभव होने वाला है।
सांसद गोपाल शेट्टी ने बताया कि इन दिव्य ग्रंथों को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने के प्रयास के रूप में मैंने सदन में प्रस्ताव रखा था। जिसके उपरांत पार्लियामेंट ने प्रस्ताव की विवेचना के लिए इसे एनसीआरटी के पास भेजा। जहां नवम्बर 2023 में सात सदस्यों की कमिटी बनाकर इस संदर्भ में उनका मत ( रिपोर्ट ) मांगा गया था। इस कमिटी के सभी सदस्यों ने एकमत से सांसद गोपाल शेट्टी के प्रस्ताव का अनुमोदन करते हुए इसे अपनी संस्तुति दे दी है।
साँसद गोपाल शेट्टी ने विश्वास प्रकट किया है कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अवश्य ही पार्लियामेंट इस सुझाव पर अंतिम निर्णय लेते हुए रामायण और श्रीमद्भागवत गीता को स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल करने की अधिकृत रूप से संस्तुति दे देगी।