मर्मस्पर्शी बालकथा : संस्कार
मर्मस्पर्शी बालकथा : संस्कार
*************************
किसी शहर में एक बुजुर्ग दंपत्ति रहते थे उनके साथ उनका बेटा , बहू और एक छोटा सा पोता रहता था ...
बहुत ही खुशहाल परिवार था,सभी बहुत प्रेम से रहते थे । धीरे-धीरे समय व्यतीत होता गया और बुजुर्ग के रिटायरमेंट का समय आ गया, वो किसी सरकारी बैंक में जॉब करते थे ।
बैंक वालों ने बहुत ही बहुत ही धूमधाम से सहकर्मी बुजुर्ग की विदाई की...अब वो दिन भर घर में बैठे _बैठे बोर हो जाया करते थे इसलिए अपने पोते के साथ पार्क में खेलने चले जाया करते थे!
एक दिन बुजुर्ग रोज की तरह शाम के समय अपने पोते को लेकर पार्क में गए । वे खुद बैंच पर बैठ कर पेपर पढ़ने लगे, तभी फुटबॉल खेलते समय उनका पोता गिर पड़ा। उसके घुटने में बहुत तेज चोट लगी तो बच्चा बहुत रोने लगा। बुजुर्ग घबरा कर बच्चे को उठाए और अपने घर आ गए ।
तभी उनकी बहू गुस्से में बोल पड़ी "पापा जी ,जब बच्चे को संभाल नहीं सकते तो साथ लेकर किसलिए जाते हो ?"
"बहू मैं हमेशा उसका ध्यान रखता हूं,गलती से आज गिर गया बच्चा है" डबडबाई आंखो से बुजुर्ग बोलने लगे।
उनका बेटा चुप _ चाप सब कुछ सुनता रहा...
दूसरे दिन सुबह के नाश्ते के लिए सभी एक ही टेबल पर बैठ गए। तभी बुजुर्ग के नाश्ते के प्लेट से सब्जी नीचे गिर गई।
तभी बहू फिर से चिल्ला उठी "पापा जी ,आप बहुत ज्यादा गंदगी फैलाने लग गए हो ।कल से आपके कमरे में ही नाश्ता _खाना सब पहुंच जाएगा ।आप वहीं खा लिया कीजिएगा !"
इस बार वो छोटा सा बच्चा जो दो दिनों से अपनी मम्मी की हरकतें और अपने दादा की लाचारी देख रहा था वह अपनी मम्मी से बोला "मम्मी, आप दादा जी से ऐसे बात क्यों करती हो ? मैं भी देख रहा हूं मम्मी बुजुर्गों से कैसे बात की जाती है !"
इतना सुनते ही बेटा _बहू दोनों के रोंगटे खड़े हो गये। उसके बाद से उन्होंने कभी भी अपने घर के बुजुर्गों से गलत व्यवहार नहीं किया !
नोट:आप अपने घर के बुजुर्गों के साथ जो व्यवहार करते हैं वही आपके बच्चे बड़े होकर आपके साथ करेंगे !
* लेखिका : कविता सिंह
(नोएडा)