सावन के आगमन पर प्रसिद्ध कवि विनय शर्मा 'दीप' की कलम से विशेष कजरी "बदरिया रिमझिम बरसै सखिया"
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सावन के आगमन पर प्रसिद्ध कवि विनय शर्मा 'दीप' की कलम से विशेष कजरी "बदरिया रिमझिम बरसै सखिया"
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पूरल नेहन प्रेम रसरिया।
लागे नाहीं कउनौ डरिया।-2
सरिया धइके चूमें,आशिक़ सवंरिया।
बदरिया रिमझिम बरसै सखिया।।
तड़-तड़ बिजली तड़के बहरा।
बड़-बड़ बिनऊर कड़के गहरा।-2
नहरा,नाला,नदिया करें धरहरिया।
बदरिया रिमझिम बरसै सखिया।।
इक त छाइल घन अंधियारी।
दूजे बदरा बा कजरारी।-2
सारी लथर-पथर,सूझे ना डगरिया।
बदरिया रिमझिम बरसै सखिया।।
दीप बलम घर जल्दी आजा।
सावन मास के रंग रंगा जा।-2
छाजा सखियन नियन,हमरी बखरिया।
बदरिया रिमझिम बरसै सखिया।।
* कवि : विनय शर्मा 'दीप'
मुंबई