कोविड-19 महामारी ने श्वसन की समस्याओं को बढ़ाया !
कोविड-19 महामारी ने श्वसन की समस्याओं को बढ़ाया !
~ जीवन के लिये जरूरी तंदुरुस्त फेफड़े कोविड-19 से हुए प्रभावित
* हेल्थ डेस्क
मुंबई : कोविड-19 महामारी को पीछे छोड़ते हुए दुनिया आखिरकार ‘ओल्ड नॉर्मल’ में लौट रही है। हालाँकि उस प्रकोप के बाद से हम श्वसन-तंत्र से जुड़ीं और विशेषकर फेफड़ों के मामले में कुछ दूसरी गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
अमेरिकन थोरैसिक सोसायटी के एक हालिया अध्ययन ने खुलासा किया है कि हो सकता है महामारी से राहत मिली हो, लेकिन उसका प्रभाव फेफड़ों की खराब होती सेहत के उभरते संकट के रूप में दिख रहा है। कोविड-19 से नीमोनिया जैसी फेफड़ों की बीमारियाँ हो सकती है और गंभीर मामलों में एक्युट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम यानी एआरडीएस भी हो सकता है।
वर्ल्ड लंग्स डे पर अपनी बात रखते हुए, पद्मश्री विजेता और डॉ. बत्रा’ज ग्रुप ऑफ कंपनीज के संस्थापक एवं चेयरमैन डॉ. मुकेश बत्रा ने कहा कि, ‘’हमारे फेफड़े अस्थमा, सीओपीडी या ब्रोंकाइटिस आदि जैसी दीर्घकालिक बीमारियों के प्रति संवेदनशील होते हैं। कोविड-19 महामारी ने श्वसन की समस्याओं को बढ़ाया ही है। 50 वर्षों से होम्योपैथी के पेशे में होने के नाते, मेरा मानना है कि औषधि की यह प्रणाली व्यक्तिपरक उपचार के माध्यम से समस्या की जड़ में जाकर अधिकांश श्वसन रोगों का प्रभावी उपचार कर सकती है। होम्योपैथी को अपनाने के अलावा, लोगों को स्वस्थ जीवनशैली रखनी चाहिये (जैसे कि श्वसन व्यायामों का अभ्यास) और फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिये धूम्रपान से सख्ती से बचना चाहिये।‘’
दुनिया में करोड़ों लोगों को श्वसन-तंत्र के संक्रमण हो रहे हैं, लेकिन निम्न और मध्यम आय वाले देशों (एलएमआईसी) में इनकी व्यापकता काफी ज्यादा है, जहाँ शोध, रोकथाम और उपचार के लिये धन सीमित है। इसके अलावा, इस असमानता को दूर करने के लिये स्वास्थ्य के सामाजिक और पर्यावरणीय निर्धारकों, जैसे कि तंबाकू का सेवन, वायु प्रदूषण, निर्धनता और जलवायु परिवर्तन पर भी ध्यान दिया जाना चाहिये।
रेडियोलॉजी में रेडियोलॉजीकल सोसायटी ऑफ नॉर्थ अमेरिका (आरएसएनए) द्वारा प्रकाशित एक दूसरे अध्ययन ने पाया है कि जिन बच्चों और वयस्कों का कोविड-19 ठीक हो चुका है या जिन्हें यह लंबे समय तक रहा है, उनकी एमआरआई में फेफड़ों की स्थायी क्षति दिखती है। शोधकर्ताओं ने 54 बच्चों और वयस्कों में, जिनकी औसत आयु 11 वर्ष थी, फेफड़ों की संरचना और कार्यात्मकता में बदलाव देखे हैं। 54 मरीजों में से 29 ठीक हो चुके थे और 25 को कोविड लंबे समय तक रहा था। संक्रमण के समय लगभग सभी को टीका नहीं लगा था।
इसके अलावा, कोविड-19 से होने वाला निमोनिया दोनों फेफड़ों में होता है और ऑक्सीजन लेना कठिन बना देता है, जिससे साँस छोटी हो जाती है, लगातार कफ और दूसरे लक्षण बने रहते हैं। कोविड से प्रभावित फेफड़े के स्वास्थ्य की भरपाई देखभाल के तरीके और कोविड की तीव्रता पर निर्भर करती है।