कविता :  तू चेतना है !

कविता :  तू चेतना है !
कवियत्री मिलीता चौधरी

कविता : तू चेतना है !
*********************

  - मिलीता चौधरी 

लोगों के ताने, होते हैं बहाने
चाहे दुनियां , लगे आजमाने
तुम चल पड़ना, किसी बहाने....

मंजिल तुम्हें , पुकार रही है
हर मुश्किल तुम्हें , सुधार रही है...

रुक जाना नहीं मंझधार में,
अवरोध खड़े होंगे कतार में!

जीवन का एक , ध्येय बनाओ
दृढ़ संकल्प से, उसको पाओ।

रोना मत रोओ दुखों का,
गीत मत गाओ सुखों का!!

तू चेतना है , बस इतना जान ले,
ना किसी की मां,बेटी,बहन, 
बस , इतना मान ले...

- गौतम बुद्ध नगर ( नोएडा )